यह पाठ घोड़े (गंदौर) के साथ एक साक्षात्कार प्रस्तुत करता है, जो जैव-यांत्रिकी (biomechanics) के केंद्र बिंदु, सिर और गर्दन के सही स्थान पर केंद्रित है। गंदौर बताते हैं कि घोड़ों और मनुष्यों दोनों में, सिर की सही स्थिति केवल गर्दन का एक अलग कार्य नहीं है, बल्कि यह एक स्वतंत्र पीठ (free back) और पूरे शरीर के संतुलन से जुड़ी होती है। यह लेख जोर देता है कि सूक्ष्म, गहरी गर्दन की मांसपेशियों, विशेष रूप से सी1-सी2 (C1-C2) जोड़ पर, सक्रिय करना महत्वपूर्ण है ताकि सतही मांसपेशियों के अति सक्रियण से बचा जा सके, जो पूरे धड़ में तनाव पैदा करता है। यह सादृश्य समझाता है कि जिस प्रकार एक मुक्त पीठ घोड़े के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार मानव की कठोर वक्षीय रीढ़ (thoracic spine) गर्दन में क्षतिपूर्ति का कारण बनती है। अंततः, इसमें क्रानियो-वर्टेब्रल फ्लेक्सियन (cranio-vertebral flexion) जैसे पिलेट्स अभ्यासों और विशेष शिक्षण भाषा का सुझाव दिया गया है ताकि बलपूर्वक मुद्रा के बजाय जागरूकता और लचीलापन बढ़ाया जा सके। निष्कर्ष यह है कि सिर को एक "पतवार" के रूप में कार्य करना चाहिए जो पूरी रीढ़ की हड्डी को संरेखित करता है, न कि एक अलग इकाई के रूप में।
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