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Description

हम हर रोज़ अपनी ज़िन्दगी का निर्माण करते हैं परंतु अक्सर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास नहीं करते हैं. हमें सदमा तब पहुँचता है जब हमें यह मालूम चलता है कि हमें अपने बनाए घर में ही रहना है. हम सोचते हैं कि ज़िन्दगी में दूसरा अवसर मिलने पर हम इसे अलग ढ़ंग से करेंगें पर दुर्भाग्यवश ऐसा होता नहीं है.

हमें जीवन एक बार मिलता है. हम अपने बढ़ई स्वयं हैं. हम प्रतिदिन कील ठोकते हैं, तख़्त लगाते हैं और दीवार का निर्माण करते हैं. हमारी प्रवृत्ति और वर्त्तमान में किए गए विकल्पों का चयन, हमारे भविष्यत ‘घर’ का निर्माण करते हैं. आगामी समय में हमें इसी ‘घर’ में रहना पड़ता है.

इस कारण हमें समझदारी से ‘घर’ का निर्माण करना चाहिए. हमें हर पल प्रत्येक कार्य में अपनी सर्वश्रेष्ठ चेष्ठा करनी चाहिए.

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