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नज़ाकत, नफ़ासत और शराफ़त का शहर कहे जाने वाले  लखनऊ में इन दिनों BUSSINESS, INVESTMENT, TARGET JOB CRAETION जैसे शब्द गूंज रहे हैं। UP GLOBAL INVESTOR SUMMIT  को नए भारत का GROWTH ENGINE कहा जा रहा है। कारोबारी घराने उत्तरप्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में फैक्ट्रियां लगाने के लिए बड़े-बड़े एलान कर रहे हैं। इतिहास गवाह रहा है कि कभी गंगा यमुना के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की संपन्नता और खुशहाली पूरी दुनिया को हैरान करती थी। उत्तरप्रदेश की कारोबारी अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बगैर बनारसी साड़ी के किसी संपन्न घर की बेटी विदा नहीं होती थी, कानपुर का कपड़ा और चमड़ा उद्योग भी हिंदुस्तान के नक्शे पर लंबे समय तक छाया रहा। ऐसे में सवाल उठता है की जब उत्तरप्रदेश इतना संपन्न और खुशहाल राज्य था तो ऐसी कौन-सी गलतियां थीं जिसने इसे बीमारू राज्यों की लिस्ट में शामिल कर दिया ? यूपी का अर्थ चक्र किस तरह आगे बढ़ा ? मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक यूपी में कारोबार का विकास हुआ या उसका विनाश हुआ ? सुनिए अनुराधा प्रसाद के साथ ख़ास कार्यक्रम “ यूपी का ‘अर्थ’ पुराण “ और जानिए इन सभी सवालों के जवाब PODCAST24 AWAAZ SABKI पर। 

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