कहते है जिंदगी में कहानियाँ बड़ी भूमिका निभाती है। एक आम इंसान भी ऐसी ही कहानियों के इर्द-गिर्द अपना पूरा जीवन जीता है । कहानियों के संदर्भ में कहा जा सकता है कि कहानियाँ जीवन में संतुलन लाती है तो जितना हम जीते जा रहे है कहानियों के लिए उतनी ही सामग्री पीछे छोड़ते जा रहे है। ऐसी ही एक सच के आस- पास भटकती हुई कहानी जिसे में आपके लिए लेकर आयी हूँ । तारीख 24 मई 1971, दिन के 12 बजने वाले थे , स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की संसद मार्ग ब्रांच में चीफ कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा के टेबल पर रखे फोन की घंटी बजती है।‘हैलो कौन’ वेद प्रकाश मल्होत्रा ने पूछा। सामने से भारी भरकम आवाज में जवाब आता है ‘हैलो, मैं प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रधान सचिव P.N. हक्सर बोल रहा हूँ’