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भारत के पूर्व दिवंगत ( Chief Of Defence Staff ) जनरल बिपिन रावत ने एक लेक्चर के दौरान कहा था कि एक फौजी सीमा की सुरक्षा करता है और एक पत्रकार लोकतंत्र की सुरक्षा करता है। एक फौजी होते हुए भी उन्होंने लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका को अच्छी तरह से समझा था। PODCAST24 पर अनुराधा प्रसाद के साथ ख़ास कार्यक्रम “ भारत भाग्य विधाता “ में आज बात देश में कलम और कैमरों के सिपाहियों यानी पत्रकारों की होगी जिनका सत्ता प्रतिष्ठानों से कोई नाता ना हो लेकिन मिलना जुलना रहता है। जो लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए  बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए किसी फौजी की तरह तैयार रहते हैं। ये वो सिपाही हैं जिन्होंने कैमरा और कलम के दम पर भारतीय लोकतंत्र को नई ताकत दी है और लंबे समय से सामाजिक बदलाव और क्रांति के सारथी रहे हैं। 

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