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BJP दफ्तर में दरबार

जब राजनीति सड़क से दफ्तर तक सिमटती है — क्या यह शक्ति का केंद्रीकरण है या संगठनात्मक अनुशासन की तस्वीर?

भाजपा के दफ्तर में मंत्रणा और निर्णयों का दौर तेज़ है।

लेकिन क्या यह बैठकों का सिलसिला जनता से जुड़ाव का प्रतीक है या केवल आंतरिक शक्ति संतुलन का हिस्सा?

क्या पार्टी के अंदरूनी संवाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दर्शाते हैं या यह सिर्फ एक सीमित वर्ग की बातचीत है?

जब दरबार दफ्तर में सजता है, तो क्या फैसले जनता के हक़ में होते हैं?

* भाजपा दफ्तर में हो रही गतिविधियाँ क्या संगठन के मजबूती की निशानी हैं?

* क्या इन बैठकों में जनता के मुद्दों पर चर्चा होती है या केवल सियासी समीकरण?

* संगठन और सरकार के बीच संतुलन कितना पारदर्शी है?

* क्या आम कार्यकर्ता की आवाज़ भी इन दरबारों तक पहुँचती है?

Agenda Points:

* भाजपा संगठनात्मक बैठकों का उद्देश्य और असर

* नेतृत्व शैली और आंतरिक संवाद की प्रकृति

* सत्ता और संगठन के रिश्ते की नई परिभाषा

* आम कार्यकर्ता बनाम केंद्रीय नेतृत्व

* क्या दफ्तर में हो रहे फैसलों का असर ज़मीनी स्तर तक जाता है?

Host:

योगीराज योगेश जी

Panelists:

डॉ. बृजेश पांडेय जी – प्रवक्ता, म.प्र. भाजपा

हिमानी सिंह जी – प्रवक्ता, म.प्र. कांग्रेस

देवदत्त दुबे जी – वरिष्ठ पत्रकार

पूरा पॉडकास्ट सुनने के लिए क्लिक करें:

https://pod.link/1772547941

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संगठन के भीतर के संवाद, रणनीति और शक्ति संतुलन — सब कुछ जानिए इस चर्चा में!