Listen

Description

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मुद्दा ‘गर्मी’ पकड़ने लगा है। साथ ही, यह बहस भी एक बार फिर शुरू हो चुकी है कि क्या ऐसा करना जरूरी है। पांच साल में 'एक बार' और 'एक साथ' चुनाव के लिए जो 'वजहें' बताई जा रही हैं, बेशक उनमें से कई 'जायज' हैं, लेकिन की वजहें किसी भी तरह से गले नहीं उतरती हैं। 'सुखी लोकतंत्र' के लिए रोजाना कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहने चाहिए, नेताओं को अपना 'रिपोर्ट कार्ड' मिलते रहना चाहिए। राम मनोहर लोहिया ने कभी कहा था कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करती तो फिर आज की सत्ता एक जिंदा कौम को ऐसा करने पर मजबूर क्यों कर रही है? इसी मुद्दे से जुड़े कई सवालों पर मीडियाभारती.नेट से बात कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विनीत सिंह