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नीली चिट्ठियाँ: एक बीते दौर की यादें



जब जज़्बात कागज़ पर उतरते थे, तब प्रेम, पीड़ा, और परिवार की दूरियाँ एक नीली चिट्ठी में सिमट जाती थीं। लेकिन अब, भावनाएँ स्क्रीन पर उभरती हैं और दो मिनट में डिलीट हो जाती हैं… क्या हम सच में आगे बढ़ रहे हैं, या कुछ अनमोल खो रहा है?