इस मतलबी और निर्दयी संसार में आप का आदर और सम्मान तब तक नहीं होगा, जब तक आप इनके आगे अपना शीश झुकाए खड़े रहेंगे, इसीलिए युगों युगों से अपनी प्रशंसा की अभिलाषा रखने वाले प्रत्येक प्राणी ने इस आदर सम्मान को, अपने बल और शक्तियों से ही इस संसार से छीना है।
सुनिए “कहानी रावण की”
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