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Description

जिसकी भुजाओं ने स्वयं कैलाश उठाया है,  

तीनों लोकों का प्रत्येक प्राणी भी, जिसके बाहुबल से थर्राया है,  

उस जैसा तेजस्वी और ताकतवर योद्धा, संसार में न दूजा है, 

अपने शीशों को जिसने काट काट, महाकाल को पूजा है। 

यह कहानी है भक्ति, आस्था, छल और अहंकार की.. 

यह है “कहानी रावण की





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