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Description

चाहतें देख कर लगता था कि बिछुड़ोगी ही नहीं कभी.....

मीठे लफ्ज जब घुलते थे कानो में तो लगता था कि कड़वा बोलोगी ही नहीं कभी...
मुस्कुराहटो के आलम तो क्या पूछो...इतने दिलनशी थे...लगता था कि जैसे रूठोगी ही नहीं कभी...
मगर... ऐसी लगी नज़र... कि...कोई ताल्लुक ही ना रहा...
और अब लगता है  कि...उजड़े हैं ऐसे...कि जैसे फिर से बसेंगे भी नहीं कभी...
तेरे इश्क़ के हाथों तबाह हुए हैं इस तरहा...के लगता है कि अब जुड़ेंगे भी नहीं कभी...
मगर तुम्हारी याद बहुत आती है ....याद रखना...
वह अलग बात है....कि मेरे दिल के सारे अरमाँ लुट गये...हिफाज़त करते करते तुम्हारी...हम खुद भी...
...लुट गये.... l