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Description

तू वो ग़ज़ल है मेरी 

जिसमें तेरा होना तय है 
तू वो नज्म है मेरी 
जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है 
इसलिये नहीं... कि... 
तू मेरी दस्तरस में है 
बल्कि इसलिये...कि...
तू आज भी मेरी नस - नस में है 
इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र 
ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ 
ना छूटेगी ये डगर 
क्यों कि...
तेरा मेरा है प्यार अमर.....।