चाहे हो सर्द रातें चाहे तपती दुपहरी
मैंने तेरी कोई चाह नही छोड़ी अधूरी
क्योंकि ज़माने से नहीं मैं कभी डरता था
तू सब कुछ भूल गई मुझे सब याद रहा
तेरे चन्द लफ़्ज़ों पे ऐतबार करता था
,..... अगर तुझे चाहता तो बर्बाद कर देता
मगर तेरी खुशियो से इश्क़ मैं करता था
तू सब कुछ भूल गई
तू सब कुछ भूल गई