Listen

Description

वो लम्हे जो दर्द थे तेरा 

वो लम्हे जो फर्ज थे मेरा 
निभाये जो आँसुओं की धार में 
वो लम्हे जो मुझपे कर्ज़ थे तेरा....
मगर कह के एहसां , जता दिया तूने 
अपनों की फ़ेहरिस्त से हटा दिया तूने  
हुस्न और इश्क़ की जद्दोजहद में 
मैं गैर हूँ तल्ख लहजे में बता दिया तूने...
फिर भी मैं दहकता रहा उसी आग में 
गाता रहा तुझी को ग़मों के साज़ में 
घुटता रहा- मरता रहा- रहा फिर भी जिंदा 
पुकारता ही रहा दिल की हर आवाज में 
मगर तूने नहीं समझी 
मेरी चाहत मेरी मर्जी 
गुरूर ए हुस्न में अपने 
सुनी ना दिल की एक अर्जी 
तेरी मर्जी...तेरी मर्जी...तेरी मर्ज़ी