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Description

अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां

अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां

आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ

जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ

याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां

कहता था उसको मैं "मासूम" तब

उसकी मासूमियत ये क्या हो गया

वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया

मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया

संग मेरे चला अंग भी वो लगा

रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया

वो मासूम इश्क़

वो मासूम इश्क़ 

वो मासूम इश्क़