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Description

ज़रा आँखों में मोहब्बत की तिश्नगी पिरोईये 

फिर हसरतों को सावन की मस्तियों में भिगोईये 
और फिर देखिये-ऐसे लगेगा जैसे....
कहीं बारिश की हर बूंद में प्यार बरस रहा है 
तो कहीं दौर-ए-मोहब्बत की पुरानी यादों में 
भीगा तन मन बूंद बूंद को तरस रहा है.