जनमेजय का नागयज्ञ शृंखला में अब तक आपने जाना कि किस तरह जनमेजय को सरमा कुतिया ने शाप दिया, कैसे जनमेजय ने अपने पुरोहित सोमश्रवा को ढूँढ़ा। उत्तंक और जनमेजय की भेंट होना, उत्तंक की तक्षक से द्वेष भावना और परिक्षित की मृत्यु। इन सभी अंकों की अन्तिम कड़ी जनमेजय के नागयज्ञ से आकर जुड़ती है। ये सभी घटनाएँ एक बड़ी घटना को जन्म दे रहीं थीं। आइए इस शृंखला की अन्तिम कड़ी की शुरुआत करें।
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