अपने सभी पुत्रों के वैराग्य धारण करने पर दक्ष प्रजापति ने परम पिता ब्रह्मा की आज्ञा का पालन करने के लिए अपनी पत्नी प्रसूति और पंचजनी के गर्भ से पुत्रियों को जन्म दिया।
दक्ष की सत्ताईस पुत्रियों का विवाह चंद्र के साथ हुआ, जो की सत्ताईस नक्षत्र हुईं। तेरह पुत्रियों का विवाह कश्यप ऋषि के साथ हुआ, जिनसे अनेक प्रजातियों की उत्पत्ति हुई। दक्ष की दस पुत्रियों का विवाह धर्म के साथ हुआ।
भृगु ऋषि की पत्नी ख्याति, मरीचि ऋषि की पत्नी सम्भूति, अंगिरा ऋषि की पत्नी स्मृति, पुलस्त्य ऋषि की पत्नी प्रीति, पुलह ऋषि की पत्नी क्षमा, क्रतु ऋषि की पत्नी सन्नति,अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूया और वशिष्ठ ऋषि की पत्नी ऊर्जा भी दक्ष कन्यायें थी।
दक्ष की पुत्री स्वाहा का विवाह अग्निदेव से और रति का विवाह कामदेव से हुआ। उनकी पुत्री सती ने अपने पिता की इच्छा के विपरीत भगवान् शंकर से विवाह किया।
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