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Description

स्वयम्भुव मनु के अग्रज पुत्र थे प्रियव्रत। 

प्रियव्रत ने जब देखा कि सूर्य के प्रकाश से केवल आधा विश्व प्रकाशित होता है और आधा हमेशा अंधकार में रहता है तो उन्होंने दूसरा सूर्य बनाने की सोचकर सूर्य के समान रथ पर सवार होकर धरती की सात बार परिक्रमा कर डाली। प्रियव्रत के रथ के पहियों से धरती में सात महासागर और सात महाद्वीप बन गए। 

 

देवर्षि नारद के उपदेश से उन्होंने सांसारिक जीवन का त्यागकर वैराग्य धारण कर लिया।
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