राजा दशरथ की दूसरी पत्नी कैकेयी, केकय नरेश अश्वपति की पुत्री थीं। कैकेयी का पालन पोषण उनके पिता के ही संरक्षण में हुआ, जिन्होंने अपनी पुत्री को हर प्रकार की विद्याओं की शिक्षा दी। युद्धकला में भी कैकेयी पारंगत थी। माता के बिना पली बढ़ी कैकेयी पर उनकी दासी मंथरा का बड़ा प्रभाव था।
एक बार सम्बरसुर दैत्य से युद्ध के समय कैकेयी ने राजा दशरथ के सारथी के रूप में भाग लिया।
युद्ध में राजा दशरथ आहत हो गए और उनके रथ का पहिया निकल गया। कैकेयी ने अपने कौशल का प्रयोग करते हुए राजा के प्राण बचाए।
अपनी प्रिय पत्नी की इस वीरता से प्रभावित होकर राजा दशरथ ने कैकेयी को दो वर माँगने को कहा।
वर्षों बाद मंथरा के प्रभाव में आकर कैकेयी ने राजा दशरथ को इन्ही दो वर की याद दिलाते हुए, भरत के लिए अयोध्या का सिंहासन और श्रीराम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा था।
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