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Description

दक्ष प्रजापति ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया सिवाय अपनी पुत्री सती और दामाद भगवान् शंकर को। 

जब सती को पिता के यज्ञ के विषय में पता चला तो उन्होंने जाने की इच्छा व्यक्त की। भगवान् शिव ने उनको ना जाने की सलाह दी क्योंकि उनको यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया गया था। 

यज्ञ में बिना बुलाये आ जाने के लिए दक्ष ने सती का अपमान किया और उसके बाद शिवजी को भी अपशब्द कहे। अपने पति का अपने ही पिता के द्वारा इस प्रकार अपमान देवी सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने स्वयं को उसी यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर अपना शरीर त्याग दिया।
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