जोरम और अज्जी जैसी विचारुत्तेजक फिल्में बना चुके देवाशीष मखीजा ने शुरुआत अनुराग कश्यप के साथ ब्लैक फ्राइडे से की थी, जिसके बाद उनकी एक के बाद एक 18 फिल्में शुरू होने के बाद बंद होती चली गई। 18 फिल्मों के रिजेक्शन का सारा गुस्सा, सारा आक्रोश उन्होंने अज्जी के किरदार में घोल दिया था जैसे।
अज्जी कहानी है एक बड़े शहर में समाज के सबसे छोटे पायदान पर रहने वाली एक 80 साल की दादी की जिसकी 10 साल की पोती के साथ दुष्कर्म होता है और जब कहीं कोई सुनवाई नहीं होती तब अज्जी खुद कानून अपने हाथों में लेकर, इंसाफ करने निकल पड़ती है। फिल्म अपने execution में बहुत वॉयलेंट और ब्रूटल है। लेकिन किरदार के इस अक्रोश में शामिल है एक कलाकार की पीड़ा, दर्द, अपमान, निराशा और गुस्सा भी। कहीं न कहीं इन्हीं सब भावों का मिश्रण हम देवाशीष की लघु फिल्म तांडव में मनोज बाजपेई के तांडव रूपी नृत्य में भी देखते हैं।
लीजिए सुनिए क्यों देवाशीष अपनी इस फिल्म को साइड इफेक्ट्स ऑफ Vigilante justice मानते हैं।
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