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तो दोस्तों ये कहानी है आलोक संस्थान के निदेशक, एक सोशल लीडर डॉ.  प्रदीप कुमावत की। आज जाने इन्हे व्यक्तिगत तौर पर कि,  किस तरीके से बचपन से ही संघर्ष भरा जीवन रहा इनका। बचपन से ही कड़ी मेहनत की। पिता आचार्य श्री श्यामलाल जी कुमावत जिन्होंने हमेशा से ही  इन्हे काम के प्रति ईमानदार रहना सिखाया, और अपने पैरों पर बिना किसी सहारे के खुद ही खड़ा होकर चलना भी सिखाया।पिता को ही इन्होने अपना रोल मॉडल माना। और उनके दिखाए रास्तो पर ही आगे चलते गए और आज ये मुकाम पा लिया है। और पच्चीस साल के कडे संघर्ष  के बाद एक पीटीआई से लेकर एक निदेशक तक का ये शानदार सफर तय किया।  

पूरी कहानी पढ़ें - https://stories.workmob.com/pradeep-kumawat-education

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