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Description

Title: "तत्त्वों का नृत्य" (Tattvon Ka Nritya - The Dance of Elements)

(Intro - Flowing like water, soft and meditative)
पानी (Jal) - Water
नदियों में बहती ज्योति, सागर में छुपी रात,
ब्रह्माण्ड की धड़कन, अमृत की बरसात।
शिव की जटाओं से गंगा उतरी,
प्राणों में बसी वह, जीवन की हार।

(Pre-Chorus - Earthy, grounding rhythm)
धरती (Prithvi) - Earth
हिमालय की चोटी, मिट्टी का गीत,
अनंत का आधार, सृष्टि का भेद।
विष्णु के चरणों से फैली यह धरा,
हर दाने में छुपा, ब्रह्म का खेल।

(Chorus - Fiery and energetic, like Agni rising)
आग (Agni) - Fire
यज्ञ की लपटें, सूरज की ज्वाल,
अंधकार को जलाती, दिव्य प्रकाश की माल।
रुद्र का ताण्डव, चिंगारी बनकर,
सृष्टि को पुकारे, नाश में पुनः जन्म।

*(Verse 3 - Airy, floating melody)*
हवा (Vayu) - Air
पंखों पे बैठा है गरुड़ का स्वामी,
प्राणों की श्वास, यह अदृश्य अभिमानी।
मंत्रों में गूंजे, ओम की लहर,
अंतरिक्ष में बिखरे, ब्रह्म का सार।

(Bridge - Cosmic fusion, all elements unite)
समाधि (Samadhi) - The Union
पानी, धरती, आग, हवा,
मिलकर बने यह ब्रह्माण्ड-राग।
शून्य से जन्मा, अनंत में लीन,
तत्त्वों का नृत्य, यही तो प्रीत।

(Outro - Trancelike, dissolving into Om)
ॐ... शान्ति...