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Description

दिनकरजी ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद, युधिष्ठिर के हृदय मे उठ रहे संताप का वर्णन किया है और उसे सुनने के बाद पीतामह के माध्यम से युद्ध की विवेचना की है। बहुत कशमकश की स्तिथि है। जरूर सुने।