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Description

आपने पिछली बार सुना कि जब दुर्योधन कृष्ण भगवान को बांधने का दुःसाहस करता है तो भगवान अपना विराट रूप दिखाते हैं।
इस बार सुने आगे का महाकाव्य। कृष्ण जब सभा से बाहर निकाल रहे थे उन्हे वहाँ कर्ण मिला। उन्होंने उसे अपने रथ मे बिठा लिया और उसे समझाने लगे कि युद्ध बहुत भयानक होगा। दुर्योधन कर्ण के दम पर ही युद्ध लड़ने को तैयार है। किन्तु कर्ण तो पांडवों का ज्येषठ भ्राता है उसे उनके साथ होना चाहिए। उसका राज्याभिषेक होगा और उसे सम्मान मिलेगा। युद्ध भी ताल जाएगा। भगवान ने साम, दाम, दंड सभी तरह से कर्ण को दुर्योधन से दूर करने का प्रयास करने लगे। कर्ण की प्रतिक्रिया सुने.....