आज कुंती बहुत व्याकुल है। कल से कुरुक्षेत्र का युद्ध शुरू होने वाला है। उसका ज्येष्ट पुत्र कर्ण शत्रु की ओर से अपने ही अनुजों से लड़ेगा। यह बात कुंती बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। फिर बहुत सोच समझ कर कर्ण से मिलने नदी तट पर पहुचती है और कर्ण से अपनी व्यथा कहती है। दिनकरजी की इतना सुंदर चित्र खीचा है कि आप के आखों के सामने महाभारत की कहानी जीवित हो जाती है। जरूर सुने।