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Description

आज कर्ण के दुख की सीमाएं टूट गई हैं। कुंती की बात सुनकर जिंदगी भर ढोते हुए दुखों का गुब्बार फूट पड़ता है। कर्ण के भावों का दिनकरजी ने बहुत सुंदर वर्णन किया है। जरूर सुने।