आपने सुना कि कुंती को सामने देखकर कर्ण के अंदर का आक्रोश बाहर आ जाता है। कुंती उन सब बातों को सुनकर क्या जवाब देती हैं दिनकरजी की सुन्दर अभिव्यक्ति मे सुने। कुंती कहती हैं कि मैं पूजा मे चढ़े फूल को उठाने नहीं आई हूँ। मैं तो अपने पुत्र को ढूढने
आई हूँ। आगे सुने।