कर्ण और अर्जुन दोनों एक दूसरे को परास्त कर अपने को महावीर घोषित करना चाहते हैं। जब उन दोनों मे आपस मे दवंद युद्ध शुरू होता है तो सारी सेना युद्ध करना भूल जाती है। यहाँ तक कि स्वर्ग के देवता भी अपना कार्य छोड़ उस युद्ध को देखने आ जाते हैं। तब कवि सोचते हैं कि अगर युद्ध के जगह इन वीरों ने मानवता के उत्थान हेतु कुछ किया होता तो धरा जल नहीं रही होती। मनुष्य मे युद्ध की जगह शांति खोजने की इच्छा कब होगी? जरूर सुने बहुत खुबसूरती से शब्दों मे बंधे हुए इन सभी भावों को।