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Description

ऐसी भाषा | भगवत रावत | आरती जैन

सारी उम्र बच्चों को पढ़ाई भाषा 

और विदा करते समय उनके

पास में नहीं था एक ऐसा शब्द 

जिसे देकर कह सकता कि लो 

इसे सँभाल कर रखना 

यह संकट के समय काम आएगा 

या कि वह तुम्हें शर्मिंदगी से बचाएगा 

या कि वह तुम्हें गिरने से रोकेगा 

या कि ज़रूरत पड़ने पर यह तुम्हें टोकेगा 

या कि तुम इसके सहारे किसी भी नीचता का सामना कर सकोगे 

या इतना ही कि कभी-कभी तुम इससे अपना ख़ालीपन भर सकोगे 

या कि यह शब्द ज़मीन की मिट्टी का टुकड़ा है 

या कि यह शब्द दो जून की रोटी से बड़ा है 

कुछ भी नहीं था मेरे पास 

कुछ भी नहीं है-यह तक कह सकने की 

भाषा न थी।