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Description

बच्चा | रामदरश मिश्रा 

हम बच्चे से खेलते हैं।

हम बच्चे की आँखों में झाँकते हैं।

वह हमारी आँखों में झाँकता है

हमारी आँखों में

उसकी आँखों की मासूम परछाइयाँ गिरती हैं

और उसकी आँखों में

हमारी आँखों के काँटेदार जंगल।

उसकी आँखें

धीरे-धीरे काँटों का जंगल बनती चली जाती हैं

और हम गर्व से कहते हैं-

बच्चा बड़ा हो रहा है।