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Description

बर्फ़ बाहर गिर रही है - नंदकिशोर आचार्य 

बर्फ़ बाहर गिर रही है, 

यह अलाव भी बुझ चला सा है

एक अधजली लकड़ी से मैं झाड़ता हूँ राख

बुझ रही लकड़ियों को नए क्रम में पुन: चुनता हूँ

फूँक से जगाता हूँ आग सोई हुई

एक धीमा ताप सब पर व्याप जाता है

मीठा और उदास, बर्फ़ बाहर गिर रही होगी।