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बेचैन चील।  गजानन माधव मुक्तिबोध

बेचैन चील!!

उस-जैसा मैं पर्यटनशील

प्यासा-प्यासा,

देखता रहूँगा एक दमकती हुई झील

या पानी का कोरा झाँसा

जिसकी सफ़ेद चिलचिलाहटों में है अजीब

इनकार एक सूना!!