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Description

बुद्धू।शंख घोष

मूल बंगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल

कोई हो जाये यदि बुद्धू अकस्मात, यह तो

वह जान नहीं पाएगा खुद से। जान यदि पाता यह

फिर तो वह कहलाता बुद्धिमान ही।

तो फिर तुम बुद्धू नहीं हो यह तुमने

कैसे है लिया जान?