बुरा क्षण/ रफ़ाइल अलबर्ती
अनुवाद : जितेंद्र कुमार
उन दिनों जब मैं सोचा करता था
कि गेहूँ के खेतों में देवताओं और सितारों का निवास है
और कुहरा हिरनी की आँख का आँसू
किसी ने मेरे सीने और छाया को पोत दिया
ऐसे में चला गया
यह वह क्षण था
जब बंदूक़ की गोलियाँ पगला उठी थीं
समुद्र उन लोगों को बहाकर ले गया
जो चिड़िया बनना चाहते थे
बेतार संदेश बुरी ख़बरें ही लाते थे
ख़ून की
और उस जल की मृत्यु की
जो सदा से आकांश ताका करता था
अथाह!