Listen

Description

चिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हें | गुलज़ार

चिपचे दूध से नहलाते हैं आँगन में खड़ा कर के तुम्हें

शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, न जाने क्या क्या

घोल के सर पे लँढाते हैं गिलसियाँ भर के...

औरतें गाती हैं जब तीवर सुरों में मिल कर

पाँव पर पाँव लगाए खड़े रहते हो इक पथराई-सी मुस्कान लिए

बुत नहीं हो तो, परेशानी तो होती होगी!

जब धुआँ देता, लगाता पुजारी

घी जलाता है कई तरह के छोंके देकर

इक ज़रा छींक ही दो तुम,

तो यक़ीं आए कि सब देख रहे हो!