कार्निस पर -कुँवर नारायण
कार्निस पर
एक नटखट किरण बच्चे-सी
खड़ी जंगला पकड़ कर,
किलकती है “मुझे देखो!”
साँस रोके
बांह फैलाए खड़ा गुलमुहर...
कब वह कूद कर आ जाए उसकी गोद में!