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Description

दिन भर | रामदरश मिश्रा

आज दिन भर कुछ नहीं किया

सुबह की झील में

एक कंकड़ी मारकर बैठ गया तट पर

और उसमें उठने वाली लहरों को देखता रहा

शाम को लोग घर लौटे तो

न जाने क्या-क्या सामान थे उनके पास

मेरे पास कुछ नहीं था

केवल एक अनुभव था

कंकड़ी और लहरों के सम्बन्ध से बना हुआ।