Listen

Description

दो मिनट का मौन | केदारनाथ सिंह 

भाइयो और बहनों 

यह दिन डूब रहा है।

इस डूबते हुए दिन पर

दो मिनट का मौन

जाते हुए पक्षी पर

रुके हुए जल पर

घिरती हुई रात पर

दो मिनट का मौन

जो है उस पर

जो नहीं है उस पर

जो हो सकता था उस पर

दो मिनट का मौन

गिरे हुए छिलके पर

टूटी हुई घास पर

हर योजना पर

हर विकास पर

दो मिनट का मौन

इस महान शताब्दी पर

महान शताब्दी के

महान इरादों पर

महान शब्दों पर

और महान वादों पर

दो मिनट का मौन

भाइयो और बहनों 

इस महान विशेषण पर

दो मिनट का मौन