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Description

दुआ सब करते आए हैं | फ़िराक़ गोरखपुरी

दुआ सब करते आए हैं दुआ से कुछ हुआ भी हो

दुखी दुनिया में बन्दे अनगिनत कोई ख़ुदा भी हो

कहाँ वो ख़ल्वतें दिन रात की और अब ये आलम है।

कि जब मिलते हैं दिल कहता है कोई तीसरा भी हो

ये कहते हैं कि रहते हो तुम्हीं हर दिल में दुख बन कर

ये सुनते हैं तुम्हीं दुनिया में हर दुख की दवा भी हो

तो फिर क्या इश्क़ दुनिया में कहीं का भी न रह जाए

ज़माने से लड़ाई मोल ले तुझसे बुरा भी हो

'फ़िराक़' इन्सान से क्या फ़ैसला हो कुफ़्र-ओ-ईमाँ का

ये हैरत-ख़ेज़ दुनिया जब ख़ुदा भी मानसिवा भी हो

ख़ल्वतें  - एकांत

हैरत-ख़ेज - आश्चर्यचकित करने वाली 

मानसिवा - अलावा

कुफ्ऱ- अल्लाह को न मानना, अविश्वास

ईमान- आस्था, विश्वास