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Description

एक बहुत ही तन्मय चुप्पी | भवानीप्रसाद मिश्र

एक बहुत ही तन्मय चुप्पी ऐसी

जो माँ की छाती में लगाकर मुँह

चूसती रहती है दूध

मुझसे चिपककर पड़ी है

और लगता है मुझे

यह मेरे जीवन की

लगभग सबसे निविड़ ऐसी घड़ी है

जब मैं दे पा रहा हूँ

स्वाभाविक और सुख के साथ अपने को

किसी अनोखे ऐसे सपने को

जो अभी-अभी पैदा हुआ है

और जो पी रहा है मुझे

अपने साथ-साथ

जो जी रहा है मुझे!