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Description

फ़िलहाल | उदय प्रकाश 

एक गत्ते का आदमी

बन गया था लौहपुरुष

बलात्कारी हो चुका था सन्त

व्यभिचारी विद्वान

चापलूस क्रान्तिकारी

मदारी को घोषित कर दिया गया था

युग-प्रवर्तक

अख़बार और चैनल

चीख़-चीख़ कर कह रहे थे

आ गयी है सच्ची जम्हूरियत

जहाँ सबसे ज्यादा लाशें बिछी थीं

वहीं हो रहा था विकास

जो बैठा था किसी उजड़े पेड़ के नीचे

पढ़ते हुए अकेले में

कोई बहुत पुरानी किताब

वही था सन्दिग्ध

उसकी हो रही थी लगातार

निगरानी