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Description

 गोल पत्थर | नरेश सक्सेना 

नोकें टूटी होंगी एक-एक कर

तीखापन ख़त्म हुआ होगा

किस-किस से टकराया होगा

कितनी-कितनी बार

पूरी तरह गोल हो जाने से पहले

जब किसी भक्त ने पूजा या बच्चे ने खेल के लिए

चुन लिया होगा

तो खुश हुआ होगा

कि सदमे में डूब गया होगा

एक छोटी-सी नोक ही

बचाकर रख ली होती

किसी आततायी के माथे पर वार के लिए।