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Description

हक़ | केदारनाथ सिंह 

पक्षियों को

अपने फैसले खुद लेने दो

उड़ने दो उन्हें हिन्द से पाक

और पाक से

हिन्द के पेड़ों की ओर

अगर सरहद जरूरी है

पड़ी रहने दो उसे

जहाँ पड़ी है वह

पर हाथों को हक दो

कि मिलते रहें हाथों से

पैरों को हक दो कि जब भी चाहें

जाकर मिल आएँ

उधर के रास्तों से

चलती रहे वार्ता

होते रहें हस्ताक्षर

ये सब सही

ये सब ठीक

पर हक को भी हक दो

कि ज़िंदा रहे वह!