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इच्छाओं का घर | अंजना भट्ट

इच्छाओं का घर- कहाँ है?

क्या है मेरा मन या मस्तिष्क या फिर मेरी सुप्त चेतना? 

इच्छाएं हैं भरपूर, जोरदार और कुछ मजबूर

पर किसने दी हैं ये इच्छाएं?

क्या पिछले जन्मों से चल कर आयीं

या शायद फिर प्रभु ने ही हैं मन में समाईं?

पर क्यों हैं और क्या हैं ये इच्छाएं?

क्या इच्छाएं मार डालूँ?

या फिर उन पर काबू पा लूं?

और यदि हाँ तो भी क्यों?

जब प्रभु की कृपा से हैं मन में समाईं?

तो फिर क्या है उनमें बुराई?