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Description

इस तरह रहना चाहूँगा | शहंशाह आलम 

इस तरह रहना चाहूँगा भाषा में
जिस तरह शहद मुँह में रहता है

रहूँगा किताब में मोरपंख की तरह
रहूँगा पेड़ में पानी में धूप में धान में

हालत ख़राब है जिस आदमी की बेहद
उसी के घर रहूँगा उसके चूल्हे को सुलगाता
जिस तरह रहता हूँ डगमग चल रही
बच्ची के नज़दीक हमेशा उसको सँभालता

इस तरह रहूँगा तुम्हारे निकट
जिस तरह पिता रहते आए हैं
हर कठिन दिनों में मेरे साथ 
हाथ में अपना पुराना छाता लिए।