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Description

ईश्वर और प्याज़ | केदारनाथ सिंह 

क्या ईश्वर प्याज़ खाता है?

एक दिन माँ ने मुझसे पूछा

जब मैं लंच से पहले

प्याज़ के छिलके उतार रहा था

क्यों नहीं माँ मैंने कहा

जब दुनिया उसने बनाई

तो गाजर मूली प्याज़ चुकन्दर-

सब उसी ने बनाया होगा

फिर वह खा क्‍यों नहीं सकता प्याज़?

वो बात नहीं-

हिन्दू प्याज़ नहीं खाता

धीरे-से कहती है वह

तो क्‍या ईश्वर हिन्दू हैं माँ?

हँसते हुए पूछता हूँ मैं 

माँ अवाक देखती है मुझे 

उधर छिल चुकने के बाद

अब पृथ्वी जैसा गोल कत्थई प्याज़

मेरी हथेली पर था

और ईश्वर कहीं और हो या न हो

उन आँखों में उस समय ज़रूर कहीं था

मेरे छोटे-से प्याज़ में

अपना वजूद खोजता हुआ