जल प्रपात है समीप - विनोद कुमार शुक्ल
जल प्रपात है समीप
जल बिंदु के साथ
हवा का झोंका आ रहा है ।
जलप्रपात अपनी जलप्रपात ध्वनि से
सब ध्वनियों को निस्तब्ध कर रहा है ।
वहाँ जाने के पहले
जो कुछ कहना सुन्ना है
कह सुन लिया गया
कि जलप्रपात के पास
केवल जलप्रपात ध्वनि को सुना जाता है
इस भाषा को पुरखे सुन चुके होते हैं
और पीढ़िया सुनने वाली होती हैं
अलावा कुछ भी सुनाई नहीं देता।
तब भी प्रपात के पास
पेड़ कि पत्ती से इकट्ठी हुई बूँद -
के टपकने कि आवाज़ होती होगी।
चिड़िया चहचहाती है
जिसकी चहचहाहट सुनाई नहीं देती
और चिड़िया के बच्चे जवाब दे रहे होते हैं।
एक गीली काली चट्टान के
नीचे से निकल कर एक कीड़ा भी
बोल रहा होगा
सब अपनी आवाज़ बोल रहे होते हैं
वहाँ मै कोरस गाता हूँ ।