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Description

जनहित का काम | केदारनाथ सिंह

मेह बरसकर खुल चुका था

खेत जुतने को तैयार थे

एक टूटा हुआ हल मेड़ पर पड़ा था

और एक चिड़िया बार-बार बार-बार

उसे अपनी चोंच से

उठाने की कोशिश कर रही थी

मैंने देखा और मैं लौट आया

क्योंकि मुझे लगा मेरा वहाँ होना

जनहित के उस काम में

दखल देना होगा।